रेलवे ट्रैक पर मवेशियों की आवाजाही: प्रबंधन की उदासीनता से बढ़ रहा हादसों का खतरा/
ट्रैक पर मवेशी, हादसे का निमंत्रण/
बिलासपुर। बिलासपुर रेलवे स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर मवेशियों का ट्रैक पर घूमना आम बात हो गई है। यह नजारा ना सिर्फ रेलवे प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।
लोको पायलट की मुसीबत
रविवार को प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर वलसाड़ एक्सप्रेस के आगमन के दौरान एक गाय का बछड़ा ट्रैक पर आ गया। लोको पायलट ने लगातार हॉर्न बजाकर मवेशी को हटाने की कोशिश की, लेकिन बछड़ा ट्रैक पर ही चलता रहा। काफी मशक्कत के बाद मवेशी को भगाया गया और ट्रेन स्टेशन पहुंच सकी।
रोजमर्रा की समस्या
यह घटना कोई नई नहीं है। प्रतिदिन कई मवेशी ट्रैक पर चलते हैं और अक्सर ट्रेन हादसों का शिकार हो जाते हैं। इससे ना केवल मवेशियों की जान जाती है, बल्कि रेलवे यातायात भी बाधित होता है।
प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल?
रेलवे स्टेशन और ट्रैक पर मवेशियों की मौजूदगी रेलवे प्रशासन की लापरवाही को साफ दर्शाती है। हादसों को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यह सवाल उठता है कि इतने महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन पर मवेशियों को रोकने के लिए कोई स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाला जा रहा?
हादसे का इंतजार!
मवेशियों की वजह से होने वाली देरी यात्रियों के लिए असुविधा तो है ही, साथ ही हादसे की आशंका से जान-माल का खतरा भी बना रहता है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में बड़े हादसे हो सकते हैं।
समस्या का समाधान जरूरी
रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह ट्रैक पर मवेशियों की आवाजाही रोकने के लिए उचित कदम उठाए। जैसे- ट्रैक के आसपास बाड़बंदी, गश्ती दल की नियुक्ति और मवेशियों को हटाने के लिए त्वरित कार्रवाई। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मवेशियों के मालिकों को भी जागरूक किया जाए।
यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवाल?
बिलासपुर जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन पर मवेशियों की उपस्थिति न केवल प्रशासन की लापरवाही को दिखाती है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करती है। समय रहते प्रभावी कदम उठाना जरूरी है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह के हादसे को टाला जा सके।