जांजगीर- चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा से रोंगटे खड़ी कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां तालाब में नहाते टाइम एक बालक के मुंह में मछली अंदर चली गई और वह गले में फंस गई। बालक को गंभीर स्थिति में सिम्स बिलासपुर रेफर किया गया है।
जानकारी के अनुसार अकलतरा थाना क्षेत्र के ग्राम करुमहु निवासी कुंवर सिंह गोंड का पुत्र समीर गोंड (14)आज सुबह लगभग 10 बजे गांव के जूना तालाब में दोस्तों के साथ नहाने गया था। नहाते समय उसके मुंह में एक मछली घुस गई।
तालाब में नहाने वक्त मुंह में जा घुसा मछली
मछली उसके गले के अंदर जा घुसा। बच्चा घबरा गया और रोने लगा दोस्तों ने इसकी सूचना घर वालों को दी और 108 संजीवनी एक्सप्रेस से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अकलतरा लाया गया । यहां डाक्टरों ने मछली को निकालने का प्रयास किया मगर वे असफल रहे।उसकी हालत गंभीर होने पर उसे सिम्स बिलासपुर रेफर किया गया।
डॉक्टर ने बताया कांटे वाली थी मछली
डाक्टरों के मुताबिक मछली गले से नीचे फंसी है और वह कांटे वाली मछली है। स्वजन बालक को लेकर बिलासपुर पहुंच गए हैं वहां उसका उपचार चल रहा है।सीचसी अकलतरा के डाक्टरों के अनुसार बालक के गले का आपरेशन करके मछली को निकाला जा सकता है। बहरहाल बालक का उपचार जारी है।इस घटना से उसके माता पिता के आलावा स्वजन परेशान हैं।
बच्चा ICU में, मछली निकाली गई
परिजन बच्चे को लेकर बिलासपुर के प्राइवेट अस्पताल पहुंचे। वहां पता चला कि बच्चे के गले में फंसी मछली करीब 3 इंच की है। डॉक्टरों ने बच्चे का ऑपरेशन कर मछली को बाहर निकाल दिया है। बच्चे को फिलहाल ICU में रखा गया है और उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। इस मछली की ख़ासियत है कि बिना पानी के भी लंबे समय तक जिंदा रह सकती है।
कवई मछली फंसी थी गले में
बताया जा रहा है कि जो मछली गले में फंसी थी, उसका नाम कवई है। कवई मछली नदी और तालाब में ज्यादा मिलती है। इसका शरीर छोटा और लगभग आयताकार होता है। इसके शरीर शल्कों से ढंके रहते हैं। ये नमी वाले जगहों में भी चल सकती है। कहते हैं बारिश में ये पेड़ों पर भी चढ़ जाती है, बिना पानी के भी जल्दी मरती नहीं है।