बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के चांटीडीह में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर न केवल आस्था और भक्ति का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। करीब 102 साल पहले स्थापित इस मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु यहां आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाएं प्रकट करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य फलदायी होती है और भोलेनाथ भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं।
चारों धाम के दर्शन का सौभाग्य, एक ही स्थान पर मिलती है पुण्य प्राप्ति
इस मंदिर की स्थापना संत मंगली बाबा ने की थी। चारों धाम—बद्रीनाथ, द्वारिकापुरी, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की यात्रा करने के बाद उन्होंने बिलासपुर के चांटीडीह में इन धामों के मंदिरों का निर्माण कराया। इससे श्रद्धालुओं को एक ही स्थान पर चारों धाम के दर्शन का सौभाग्य मिलता है, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाता है। मंगली बाबा के पोते दयाशंकर सोनी कहना है कि यह छत्तीसगढ़ का प्राचीन मंदिर है और यहां आने वाले भक्तों की आस्था लगातार बढ़ती जा रही है। साथ ही हर साल भांति महाशिवरात्रि पर मेला का आयोजन किया जाता है। लोग मेले का आनंद लेने के लिए अपने परिवार के साथ दूर- दराज से आते है।
28 वर्षों से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रही श्रद्धालु मधु सिंह
अशोक नगर की रहने वाली श्रद्धालु मधु सिंह पिछले 28 सालों से हर महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में आकर जलाभिषेक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि, यहां आकर मुझे ऐसा लगता है जैसे एक ही स्थान पर चारों धाम के दर्शन हो गए हों। और बहुत ही ज्यादा सुकून मिलती है। मैं जब भी ससुराल से आती हूं तो। इस मंदिर में जरूर आती हूं। भोलेनाथ की कृपा से मेरी हर मनोकामना पूरी की है, इसलिए मैं हर साल यहां आते रहती हूं।
पहली बार दर्शन करने पहुंची पूनम सिंह ने मांगी सुख-समृद्धि की कामना
पहली बार चांटीडीह की शिव मंदिर में पूजा करने आई पूनम सिंह ने बताया कि, उन्होंने इस मंदिर की अपार मान्यता और चमत्कारों के बारे में सुना था, इसलिए वे पूजा करने और दर्शन करने पहुंची। उन्होंने कहा, जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव से कुछ मांगता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मैं भी अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करने आई हूं। और सभी श्रद्धालुओं का मनोकामना पुरी हो सके ऐसी कामना की हूं।
महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला, भक्ति और उत्सव का संगम
आपको बता दें कि, हर साल कि भांति महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में तीन दिवसीय विशाल मेले का आयोजन होता है। जो कि यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करते हैं, भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं और विभिन्न दुकानों व स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाते हैं। इस मेले में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक झलक देखने को मिलती है, जिससे श्रद्धालु आनंदित हो उठते हैं।
मंदिर की सेवा के लिए परिवार की अपील, आस्था बनी रहे
मंगली बाबा के पोते दयाशंकर सोनी मंदिर की देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने ने बताया कि, हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां भी इसी तरह भगवान भोलेनाथ की सेवा में लगी रहें और श्रद्धालुओं की आस्था बनी रहे। ताकि इस मंदिर भविष्य में भी लोगों के विश्वास और श्रद्धा का केंद्र बना रहेगा।
पूजा स्थल नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक
बिलासपुर का यह 100 साल पुराना शिव मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां लगने वाला भव्य मेला इस आस्था को और मजबूत करता है। चारों धाम के दर्शन का सौभाग्य देने वाला यह मंदिर न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थान बन गया है।