बिलासपुर। पिछले दो वर्षों से बिलासपुर में नवीनीकरण की आड़ में एपीएल को बीपीएल कार्ड में बदलने की कोशिश जारी है। उस समय एक लाख से अधिक राशन कार्ड को बदलकर फर्जी बीपीएल कार्ड बनाकर सरकारी चावल और शक्कर में हेराफेरी की गई। मामला सामने आने पर इसकी भी जांच हुई। लेकिन खाद्य नियंत्रक की आईडी, जिससे यह सब खेल हुआ, जांच से बाहर रखा गया। ऐसे में केवल मामले की जांच का प्रश्न उठने लगा है।
जिले में बीते दो साल से लाखों क्विंटल चावल व शक्कर की हेराफेरी करने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। जानकारों की माने तो 2022 में जब नवीनीकरण हुआ उस दौरान एक लाख से अधिक एपीएल कार्ड को बदलकर बीपीएल कर दिया गया है। गड़बड़ी की परत धीरे-धीरे खुल रही है। पड़ताल में सामने आया है कि एक ही दुकान से एक दर्जन से भी अधिक फर्जी बीपीएल कार्ड मिले हैं, जिनके पुराने कार्ड नंबर को ही गायब कर दिया गया है।
विक्रेता को दोषी बताकर मामले को दबाने की कोशिश
दरअसल, गड़बड़ी सामने आने के बाद खाद्य विभाग ने इसकी जांच कराई। इसमें सिर्फ एक विक्रेता को पूरे मामले में दोषी पाया गया है। फूड कंट्रोलर अनुराग भदौरिया ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी है। इसमें विक्रेता पर एफआईआर करने की अनुशंसा की गई है। लेकिन, रिपोर्ट में कई ऐसे बिंदु हैं जिन पर टीम ने जांच ही नहीं की। जैसे एपीएल को बीपीएल बनाने आवेदन / दस्तावेज किसने सौंपा, बीपीएल कार्ड के लिए सौंपे गए दस्तावेजों में हस्ताक्षर किस तरह के परिवार की महिलाओं ने किया है या फिर इसमें कोई जालसाजी की गई है। बीपीएल कार्ड च्वाइस सेंटर में बनाया गया है या नगर निगम कार्यालय या फिर कैंप में बना है। जिस कर्मचारी या च्वाइस सेंटर संचालक ने बनाया है, उसकी पहचान जांच दल ने की या नहीं। कूट रचित दस्तावेजों/जाली हस्ताक्षरों का मिलान हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से ही संभव है। ऐसे मेंक्या हस्ताक्षर मिलान के लिए हेंड राइटिंग एक्सपर्ट की मदद ली गई या ली जाएगी। ऐसे कई सवाल है, जिसका जवाब सामने नहीं आया है।
ऐसे खुला पूरा मामला
खाद्य विभाग की ओर से जनवरी 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच बीपीएल कार्डधारियों के राशन कार्ड का नवीनीकरण किया गया था। इसकी आड़ में एक लाख से अधिक हितग्राहियों के एपीएल कार्ड के नंबर को गायब कर बीपीएल में बदल दिया गया और हितग्राहियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसी कार्ड के जरिए हर माह लाखों क्विंटल चावल की हेराफेरी हो रही है। जब हितग्राहियों को इसकी जानकारी हुई, तब शिकायत की गई। शुरुआती जांच में विनोबा नगर की माता दी खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति मर्यादित और डीपूपारा में संचालित संस्कृति महिला समूह की राशन दुकानों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई थी। खाद्य विभाग की जांच के बाद विनोबा नगर की दुकान को सस्पेंड कर दिया गया है। एक विक्रेता ने दावा किया है कि सिंधी कालोनी, रेलवे क्षेत्र, टिकरापारा समेत शहर के कई वार्डों में करीब दो लाख फर्जी बीपीएल कार्ड बनाकर सरकारी राशन की बंदरबांट की जा रही है।
बाजार में खप रहा सरकारी चावल
बताया जा रहा है कि इन राशन दुकानों से उठाव किए जाने वाले चावल की जानकारी हितग्राहियों को भी नहीं है। इसके चलते सरकारी चावल की हेराफेरी कर बाजार में खपाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि टिकरापारा क्षेत्र में एक गोदाम भी है, जहां सरकारी चावल को डंप किया जाता है। यहां से इसे बाजार में खपाया जाता है।
इस तरह से किया गया है फर्जीवाड़ा
खाद्य विभाग की ओर से 2022 में नवीनीकरण किया गया। इसमें नया कार्ड नंबर जारी किया गया। यह प्रक्रिया एपीएल और बीपीएल दोनों राशन कार्ड में अपनाई गई थी। जिन कार्डों का नवीनीकरण हुआ है उस कार्ड का नया नंबर जारी हुआ है। जिन एपीएल कार्डों को गुपचुप तरीके से बीपीएल में बदला गया है उनके पुराने कार्ड नंबर को ही गायब कर दिया गया है और नया नंबर से कार्ड बनाया गया है। इन कार्डों में भी पुराने कार्ड नंबर को सुनियोजित तरीके से विलोपित कर दिया गया है। ताकि, जांच होने पर गड़बड़ी न पकड़ी जा सके।
फूड कंट्रोलर की आईडी से बने कार्ड, जांच के दायरे से बाहर
नियम के अनुसार राशन कार्ड नंबर को फूड कंट्रोलर की आईडी से ही डिलीट किया जा सकता है। इससे जाहिर है कि फूड कंट्रोलर की जानकारी में ही एपीएल कार्ड के नंबर को विलोपित कर नया नंबर जारी कर बीपीएल बना दिया गया। इसमें नगर निगम, सरकारी राशन दुकानदार, विक्रेता के साथ ही फूड कंट्रोलर अनुराग भदौरिसया की भूमिका संदिग्ध है। लेकिन, उन्हें जांच के दायरे से बाहर कर केवल विक्रेता को ही दोषी बता दिया गया है।
केवल दो रात में बने 17 फर्जी राशन कार्ड
विभागीय सूत्रों का कहना है कि साल 2022 को 13 और 14 दिसंबर को केवल दो रात में ही 17 फर्जी राशन कार्ड बनाए गए हैं, जिसकी अब तक जांच ही नहीं की है। दरअसल, राशन कार्ड बनाने का काम सुबह से लेकर शाम के बीच होना चाहिए। लेकिन, यहां शाम पांच बजे से रात 12 बजे के बीच ये खेल किया गया है। वहीं, 1338 सदस्यों को फर्जी बताकर निरस्त भी किया गया है।
मामले को नियंत्रित करने के लिए दूसरे कम्प्यूटर सिस्टम का उपयोग
छत्तीसगढ़ राशनकार्ड नियम 2016 ने सदस्यता और राशन कार्ड को निरस्त करने के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया दी है। इसके तहत, ऐसे बोगस कार्ड की जांच के बाद विभागीय अधिकारी का रिपोर्ट ही बोगस कार्ड को निरस्त कर सकता है। लेकिन जिले में राशन कार्ड बनाने और उन्हें खारिज करने का खेल रात भर चलता रहा। उसने भी विभाग के कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग नहीं किया, बल्कि ऑफिस से बाहर के कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग किया। ताकि गड़बड़ी होने पर दोषी अधिकारी को दंडित किया जा सके।
इनकी भी भूमिका है संदिग्ध
जानकारों का कहना है कि इस पूरे गोलमाल में फूड कंट्रोलर अनुराग भदौरिया के साथ ही फूड इंस्पेक्टर मनोज बघेल और धीरेंद्र कश्यप के भी शामिल होने की बात कही जा रही है। लेकिन, विभाग की करतूतों पर पर्दा डालने के लिए फूड कंट्रोलर के नीचे काम करने वाले फूड इंस्पेक्टर धीरेंद्र कश्यप के साथ जांच के लिए टीम का गठन किया गया है, जिन्होंने विभागीय तकनीकी खामियों की जांच ही नहीं की। वहीं, केवल विक्रेता को दोषी बताकर मामले को रफादफा कर दिया।