Monday, June 16, 2025
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शराबी शिक्षक नशे में टुन्न होकर पहुंचे स्कूल… बोले: बस आधा गिलास ही पिया हूं… सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल…

जशपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल खुलने के बाद से शिक्षकों के शराब पीकर स्कूल पहुंचने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हाल ही में एक ऐसा वीडियो जशपुर के बगीचा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय का सामने आया है, जिसमें शिक्षक विजय टोप्पो नशे में धूत होकर विद्यालय पहुंचते हुए दिखाई दे रहे हैं।

इस वायरल वीडियो में एक व्यक्ति शिक्षक से सवाल करता है कि वे स्कूल में शराब पीकर क्यों आए हैं। इस पर विजय टोप्पो का जवाब है कि “आधा गिलास ही पिया हूं” और वे इसे गलत नहीं मानते। शिक्षक ने अपनी इस हरकत का कारण पारिवारिक समस्याओं को बताया।

इस घटना ने न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि शिक्षकों की जिम्मेदारी और नैतिकता को कैसे नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसे वीडियो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालने के साथ-साथ समाज में शिक्षकों की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों का कहना है कि शिक्षकों को इस तरह के व्यवहार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, ताकि बच्चों को एक सुरक्षित और प्रेरणादायक माहौल मिल सके। इस मामले में शिक्षा विभाग को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

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जशपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल खुलने के बाद से शिक्षकों के शराब पीकर स्कूल पहुंचने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हाल ही में एक ऐसा वीडियो जशपुर के बगीचा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय का सामने आया है, जिसमें शिक्षक विजय टोप्पो नशे में धूत होकर विद्यालय पहुंचते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वायरल वीडियो में एक व्यक्ति शिक्षक से सवाल करता है कि वे स्कूल में शराब पीकर क्यों आए हैं। इस पर विजय टोप्पो का जवाब है कि "आधा गिलास ही पिया हूं" और वे इसे गलत नहीं मानते। शिक्षक ने अपनी इस हरकत का कारण पारिवारिक समस्याओं को बताया। इस घटना ने न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि शिक्षकों की जिम्मेदारी और नैतिकता को कैसे नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसे वीडियो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालने के साथ-साथ समाज में शिक्षकों की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों का कहना है कि शिक्षकों को इस तरह के व्यवहार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, ताकि बच्चों को एक सुरक्षित और प्रेरणादायक माहौल मिल सके। इस मामले में शिक्षा विभाग को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।