Monday, June 16, 2025
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स्कूलों में विशेष शिक्षकों की भर्ती पर हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब…

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आरसीआई ट्रेंड टीचर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्कूलों में विशेष शिक्षकों की भर्ती पर राज्य शासन से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। आरसीआई स्कूलों में ट्रेंड टीचर्स विशेष शिक्षकों एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में स्कूलों में सरकार स्पेशल एडुकेटर नियुक्त नहीं कर रही है।

प्रदेश में 60 हजार से ज्यादा विशेष जरूरतों वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रदेश में 2021 तक सिर्फ 888 विशेष शिक्षक ही हैं जबकि छत्तीसगढ़ में सरकारी आँकड़ों के हिसाब से आज लगभग हजारों विशेष शिक्षकों की जरूरत है। चीफ जस्टिस की डीबी में हुई सुनवाई में याचिका में कहा गया कि यही मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था।

इसमें जस्टिस रजनीश पाण्डेय ने सभी राज्य सरकारों को स्पेशल एडुकेटर अपने स्कूलों में नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। सुको ने राज्यों से इसकी कम्पलाएंस रिपोर्ट भी मंगाई थी। इस निर्णय के 2 साल बाद भी छत्तीसगढ़ शासन ने कोई भी कदम नहीं उठाया है। इस वजह से यह बच्चे उन स्कूलों में नहीं पढ़ पा रहे हैं जिसका उल्लेख राईट टू एजुकेशन एक्ट में किया गया है। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद यह भी हुआ कि, राईट टू एजुकेशन एक्ट में भी बदलाव हुआ। यह कहा गया कि, ऐसे हर दस बच्चों के पीछे एक स्पेशल एडुकेटर पहली से आठवीं कक्षा तक होना चाहिए, इसी प्रकार हर 15 बच्चों के पीछे कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक एक प्रशिक्षक होना चाहिए, सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन से 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है।

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आरसीआई ट्रेंड टीचर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्कूलों में विशेष शिक्षकों की भर्ती पर राज्य शासन से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। आरसीआई स्कूलों में ट्रेंड टीचर्स विशेष शिक्षकों एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में स्कूलों में सरकार स्पेशल एडुकेटर नियुक्त नहीं कर रही है। प्रदेश में 60 हजार से ज्यादा विशेष जरूरतों वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रदेश में 2021 तक सिर्फ 888 विशेष शिक्षक ही हैं जबकि छत्तीसगढ़ में सरकारी आँकड़ों के हिसाब से आज लगभग हजारों विशेष शिक्षकों की जरूरत है। चीफ जस्टिस की डीबी में हुई सुनवाई में याचिका में कहा गया कि यही मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था। इसमें जस्टिस रजनीश पाण्डेय ने सभी राज्य सरकारों को स्पेशल एडुकेटर अपने स्कूलों में नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। सुको ने राज्यों से इसकी कम्पलाएंस रिपोर्ट भी मंगाई थी। इस निर्णय के 2 साल बाद भी छत्तीसगढ़ शासन ने कोई भी कदम नहीं उठाया है। इस वजह से यह बच्चे उन स्कूलों में नहीं पढ़ पा रहे हैं जिसका उल्लेख राईट टू एजुकेशन एक्ट में किया गया है। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद यह भी हुआ कि, राईट टू एजुकेशन एक्ट में भी बदलाव हुआ। यह कहा गया कि, ऐसे हर दस बच्चों के पीछे एक स्पेशल एडुकेटर पहली से आठवीं कक्षा तक होना चाहिए, इसी प्रकार हर 15 बच्चों के पीछे कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक एक प्रशिक्षक होना चाहिए, सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन से 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है।