बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित राम दुलारे स्कूल इस समय चर्चा का केंद्र बना हुआ है, जहां PWD सिविल इंजीनियर की परीक्षा के दौरान एक हाईटेक नकल रैकेट का खुलासा हुआ है। ‘मुन्ना भाई MBBS’ के किस्से अब बीते ज़माने की बात लगते हैं, क्योंकि अब मुन्नी बहन’ तकनीक का उपयोग कर परीक्षा में धांधली करती पकड़ी गई है।
परीक्षा में बैठी युवती ने अपने कॉलर में माइक्रो कैमरा छिपा रखा था, जिससे प्रश्न पत्र बाहर भेजा जा रहा था। वहीं दूसरी ओर, एक ऑटो में बैठा व्यक्ति वॉकी-टॉकी के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर उसे सुना रहा था। NSUI के कार्यकर्ताओं को जब इस गतिविधि पर शक हुआ, तो उन्होंने सतर्कता दिखाते हुए इस पूरे गिरोह को रंगेहाथ पकड़कर पुलिस को सौंप दिया।
बीए परीक्षा में ‘सामूहिक नकल’ का मामला: एक जैसे शब्द, एक जैसे उत्तर
वहीं दूसरी तरफ, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय से भी परीक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों का पर्दाफाश हुआ है। बीते दिनों गुंडरदेही स्थित माता कर्मा कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय में आयोजित बीए द्वितीय वर्ष की परीक्षा में अर्थशास्त्र (प्रिंसिपल ऑफ मैक्रोइकोनॉमिक्स) के पेपर में एक अजीब संयोग देखा गया।
जैसे ही उत्तरपुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय पहुंचीं, जांचकर्ता स्तब्ध रह गए। एक नहीं, दो नहीं, पूरे 22 छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं में एक-एक शब्द समान थे — न भाषा में बदलाव, न प्रस्तुति में अंतर। मूल्यांकनकर्ता ने टिप्पणी की कि ऐसा लगता है जैसे किसी ने छात्रों को बोलकर उत्तर लिखवाया हो।
परीक्षा प्रणाली पर सवाल
इन दोनों घटनाओं ने राज्य की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर तकनीक का दुरुपयोग कर हाईटेक नकल हो रही है, वहीं दूसरी ओर परीक्षा केंद्रों की निगरानी व्यवस्था इतनी कमजोर है कि पूरी की पूरी कक्षा सामूहिक नकल को अंजाम दे रही है।
अब देखना यह होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षा विभाग इस पर क्या कड़े कदम उठाते हैं। क्या दोषियों पर केवल खानापूर्ति होगी, या कोई सख्त मिसाल पेश की जाएगी?