Tuesday, June 17, 2025
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चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन… आज मां सिद्धिदात्री होती है पूजा… ऐसे पूजन करें : होगी हर मनोकामना पूरी…

Chetra navratri 2024: आज 17 अप्रैल बुधवार को चैत्र नवरात्रि का 9वां दिन है। इसे महानवमी और दुर्गा नवमी के नाम से भी जानते हैं। आज मां के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन राम नवमी भी मनाते हैं। महानवमी के दिन व्रत रखते हैं और मां दुर्गा नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था।

धार्मिक ग्रंथों में माता के इस स्वरूप को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाला माना गया है। प्राचीन शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्वनामक आठ सिद्धियां बताई गई हैं। ये आठों सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं।

कौन है मां सिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो कमल पुष्प पर विराजमान होती हैं। वे अपने हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल का फूल धारण करती हैं। इस देवी के नाम से ही स्पष्ट है कि वे सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए उनका नाम मां सिद्धिदात्री है।

पूजा विधि

र्वप्रथम कलश की पूजा व उसमें स्थपित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। रोली,मोली, कुमकुम, पुष्प चुनरी आदि से मां की भक्ति भाव से पूजा करें। हलुआ,पूरी,खीर,चने,नारियल से माता को भोग लगाएं। इसके पश्चात माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोजन कराना चाहिए।

पूजा मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री के प्रिय भोग

मां सिद्धिदात्री की पूजा के समय उनको पूड़ी, हलवा, चना, खीर, नारियल आदि का भोग लगाना चाहिए.

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Chetra navratri 2024: आज 17 अप्रैल बुधवार को चैत्र नवरात्रि का 9वां दिन है। इसे महानवमी और दुर्गा नवमी के नाम से भी जानते हैं। आज मां के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन राम नवमी भी मनाते हैं। महानवमी के दिन व्रत रखते हैं और मां दुर्गा नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। धार्मिक ग्रंथों में माता के इस स्वरूप को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाला माना गया है। प्राचीन शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्वनामक आठ सिद्धियां बताई गई हैं। ये आठों सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं। कौन है मां सिद्धिदात्री मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो कमल पुष्प पर विराजमान होती हैं। वे अपने हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल का फूल धारण करती हैं। इस देवी के नाम से ही स्पष्ट है कि वे सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए उनका नाम मां सिद्धिदात्री है। पूजा विधि र्वप्रथम कलश की पूजा व उसमें स्थपित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। रोली,मोली, कुमकुम, पुष्प चुनरी आदि से मां की भक्ति भाव से पूजा करें। हलुआ,पूरी,खीर,चने,नारियल से माता को भोग लगाएं। इसके पश्चात माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोजन कराना चाहिए। पूजा मंत्र सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी। मां सिद्धिदात्री के प्रिय भोग मां सिद्धिदात्री की पूजा के समय उनको पूड़ी, हलवा, चना, खीर, नारियल आदि का भोग लगाना चाहिए.