बिलासपुर। बिलासपुर जिले में अवैध रेत खनन धड़ल्ले से जारी है और प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है। जिन रेत घाटों को प्रशासन ने पहले ही बंद घोषित किया है, लेकिन घाटों में सुबह से लेकर रात तक ट्रैक्टर चल रही है। खास बात यह है कि, प्रशासन को लगातार शिकायत मिलने के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।
बिलासपुर शहर से लगे वार्ड क्रमांक 13 मंगल का नजारा अब आम हो चुका है। सुबह से शाम हर वक्त ट्रैक्टरों की कतार घाट की ओर जाते नजर आते है। जहां प्रशासन पहले ही बंद घोषित कर चुका है। इसके बावजूद भी घाटों पर किसी भी तरह से रेत खनन की अनुमति नहीं की गई है। फिर भी यहां चोरी छिपे चौबीसों घंटे रेत खनन की जा रही है।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि, यह का नजारा अब आम हो चुका है। दिन हो या रात हो किसी भी समय इन प्रतिबंधित घाटों की ओर ट्रैक्टरों की लंबी कतार देखे जा सकते है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिलती है। इससे नहीं पर्यावरण नुकसान हो रही है, बल्कि शासन और प्रशासन की साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
आपको बता दें कि, यह पूरा इलाका अब रेत माफियाओं के गिरफ्त में है। इसकी शिकायत पार्षद ने कई बार की है लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मंगला से धुरीपारा तक रिहायशी इलाका है। उसके बाद भी रेत माफिया के हाथ में है। इस संबंध में खनिज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जहां अवैध खनन होते हैं वहीं कार्रवाई की जाती है। इससे साफ तौर से पता चलता है कि अधिकारी और माफियाओं का कोई गहरा संबंध है?
वहीं 26 तारीख को टास्क टीम बनाई गई है। जिसमें राजस्व ,पुलिस परिवहन विभाग, आदि शामिल है। हम लगातार छात्रों पर निरीक्षण कर रहे हैं। जैसे ही शिकायत प्रात होती है। तो हम मौके पर पहुंचकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। खनिज अधिकारी का दवा है कि अवैध खनन की शिकायत मिलते ही कार्रवाई की जाती है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। न तो ट्रैक्टर जप्त हुई है। ना ही रेत माफियाओं खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है।
यदि प्रशासनिक का यही हाल रहा तो मंगला वार्ड जैसे अन्य रिहायशी इलाके भी जल्द ही रेत माफियाओं के गढ़ बन सकते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ से प्रशासन के द्वारा घाटों को बन कर दी गई है। फिर भी कैसे खुलेआम यहां से रेत ढुलाई हो रही है? और यह सब किसके संरक्षण में हो रही है। यह एक गंभीर प्रश्न बना हुआ है। हालांकि अब देखना होगा कि कब तक प्रशासन रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करती है?