Wednesday, July 30, 2025
Homeअन्य खबरेस्मार्ट सिटी की 'स्मार्ट साइकिल' योजना पंचर! 68 लाख की योजना, ...

स्मार्ट सिटी की ‘स्मार्ट साइकिल’ योजना पंचर! 68 लाख की योजना, न साइकिल बची, न सवारी, किसके काम आई ये योजना?

बिलासपुर। बिलासपुर में पर्यावरण और ट्रैफिक समस्या से संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई ‘रेंट-ए-साइकिल’ योजना अब 1 साल में दम तोड़ती नजर आ रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2023 में 68 लाख रुपये की लागत से इस योजना की शुरुआत की गई थी। लेकिन इस योजना में लाखों रुपए खर्च किया गया। लेकिन नतीजा सिफर रहा है। वर्ष 2023 में इस योजना का टेंडर दिल्ली की काम शिव शक्ति कंपनी को मिला था। शुरुआत में शहर के प्रमुख नेहरू चौक, पुराना बस स्टैंड, शनिचरी बाजार, रिवर व्यू , में रखा गया था। लेकिन आज इनकी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि, रिवर व्यू स्टैंड पूरी तरह खाली पड़ी हुई है। जहां पर पहले साइकिल पार्क होते थे। अब लोग वहां अपनी दोपहिया वाहन, और चारपहिया वाहन खड़ा कर रहे है। वहीं नेहरू चौक में बची 2 साइकिल खस्ताहाल में पड़ा हुआ है। साथ ही साइकिल पंचर और धूल पड़ी हुई है। यह सिर्फ तस्वीर बिलासपुर नहीं है। बल्कि इससे पहले रायपुर, मुंबई, भोपाल जैसे बड़े शहरों में भी ये योजनाएं सफल नहीं हो पाई है। अब नगर निगम स्टैंडो को दूसरे स्थान में शिफ्ट करने की योजना बना रही है। हालांकि यह तय नहीं हो पा रहा है कि इसकी स्थिति सुधरेगी या नहीं।

आपको बता दें कि, इस योजना के तहत स्मार्टफोन एप के माध्यम से साइकिल अनलॉक कर किराए पर ली जा सकती थी। लेकिन योजना की तकनीकी प्रक्रिया को लेकर अफसरों ने प्रचार-प्रसार तक नहीं किया। जिससे आमजन को भी यह योजना रास नहीं आ पाई। नतीजा ये कि न तो साइकिलों का इस्तेमाल हुआ और न ही स्टैंड्स की निगरानी की गई। नगर निगम के कई अधिकारियों को यह तक नहीं पता कि कितने लोगों ने अब तक रेंट पर साइकिल ली है और फिलहाल वे साइकिलें कहां हैं।

रेंट-ए-साइकिल’ योजना तकनीकी और प्रबंधन दोनों स्तरों पर विफल होती नजर आ रही है। योजना के तहत उपयोगकर्ताओं को पहले गूगल प्ले स्टोर से एक ऐप डाउनलोड करना होता था, यूज़र्स को पहले क्यूआर कोड स्कैन कर साइकिल अनलॉक करना होता है। और राइड होने के पश्चात साइकिल को पास में ही स्टैंड पर लॉक के ट्रिप को बंद करना होता है। लेकिन इसकी पूरी प्रकिया लोगों कठिन साबित लगी है। साथ ही रखरखाव न होने से ब्रेक फेल, सीट चोरी, पंचर, धूल, चैन टूटने जैसे स्थिति हो चुकी है। साथ ही लगे बोर्ड की लाइट भी टूट रहे है।

इस योजना में सदस्यता शुल्क और किराया पहले 30 मिनट 10 रुपए किराया है। इसके अलावा 60 मिनट 20 रुपए किराया पर दे रहे है। और 90 मिनट 40 रुपए किराया के साथ 120 मिनट 60 रुपए किराया है। साथ ही अतिरिक्त 30 मिनट 30 रुपए किराया लगभग एक वर्ष का पास 999 रुपए रखा गया है। वहीं 3 महीने का पास 299 रुपए है। और एक महीने का पास 149 रुपए रखी गई है।

वहीं अधिकारियों का कहना है कि, इस योजना को लेकर शहर में उत्साह नहीं दिख रहा है। ऐसे में गांधी चौक और हैप्पी स्ट्रीट के स्टैंड को हटाकर वहां से साइकिलें गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी के पास शिफ्ट कर रहे हैं। रख-रखाव और हवा भरने के लिए साइकिलों को देवकीनंदन स्कूल के स्टोर में ले जाया गया है। इसलिए रिवर व्यू और नेहरू चौक में साइकिलें नजर नहीं आ रही हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Posts

बिलासपुर। बिलासपुर में पर्यावरण और ट्रैफिक समस्या से संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई 'रेंट-ए-साइकिल' योजना अब 1 साल में दम तोड़ती नजर आ रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2023 में 68 लाख रुपये की लागत से इस योजना की शुरुआत की गई थी। लेकिन इस योजना में लाखों रुपए खर्च किया गया। लेकिन नतीजा सिफर रहा है। वर्ष 2023 में इस योजना का टेंडर दिल्ली की काम शिव शक्ति कंपनी को मिला था। शुरुआत में शहर के प्रमुख नेहरू चौक, पुराना बस स्टैंड, शनिचरी बाजार, रिवर व्यू , में रखा गया था। लेकिन आज इनकी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि, रिवर व्यू स्टैंड पूरी तरह खाली पड़ी हुई है। जहां पर पहले साइकिल पार्क होते थे। अब लोग वहां अपनी दोपहिया वाहन, और चारपहिया वाहन खड़ा कर रहे है। वहीं नेहरू चौक में बची 2 साइकिल खस्ताहाल में पड़ा हुआ है। साथ ही साइकिल पंचर और धूल पड़ी हुई है। यह सिर्फ तस्वीर बिलासपुर नहीं है। बल्कि इससे पहले रायपुर, मुंबई, भोपाल जैसे बड़े शहरों में भी ये योजनाएं सफल नहीं हो पाई है। अब नगर निगम स्टैंडो को दूसरे स्थान में शिफ्ट करने की योजना बना रही है। हालांकि यह तय नहीं हो पा रहा है कि इसकी स्थिति सुधरेगी या नहीं। आपको बता दें कि, इस योजना के तहत स्मार्टफोन एप के माध्यम से साइकिल अनलॉक कर किराए पर ली जा सकती थी। लेकिन योजना की तकनीकी प्रक्रिया को लेकर अफसरों ने प्रचार-प्रसार तक नहीं किया। जिससे आमजन को भी यह योजना रास नहीं आ पाई। नतीजा ये कि न तो साइकिलों का इस्तेमाल हुआ और न ही स्टैंड्स की निगरानी की गई। नगर निगम के कई अधिकारियों को यह तक नहीं पता कि कितने लोगों ने अब तक रेंट पर साइकिल ली है और फिलहाल वे साइकिलें कहां हैं। रेंट-ए-साइकिल' योजना तकनीकी और प्रबंधन दोनों स्तरों पर विफल होती नजर आ रही है। योजना के तहत उपयोगकर्ताओं को पहले गूगल प्ले स्टोर से एक ऐप डाउनलोड करना होता था, यूज़र्स को पहले क्यूआर कोड स्कैन कर साइकिल अनलॉक करना होता है। और राइड होने के पश्चात साइकिल को पास में ही स्टैंड पर लॉक के ट्रिप को बंद करना होता है। लेकिन इसकी पूरी प्रकिया लोगों कठिन साबित लगी है। साथ ही रखरखाव न होने से ब्रेक फेल, सीट चोरी, पंचर, धूल, चैन टूटने जैसे स्थिति हो चुकी है। साथ ही लगे बोर्ड की लाइट भी टूट रहे है। इस योजना में सदस्यता शुल्क और किराया पहले 30 मिनट 10 रुपए किराया है। इसके अलावा 60 मिनट 20 रुपए किराया पर दे रहे है। और 90 मिनट 40 रुपए किराया के साथ 120 मिनट 60 रुपए किराया है। साथ ही अतिरिक्त 30 मिनट 30 रुपए किराया लगभग एक वर्ष का पास 999 रुपए रखा गया है। वहीं 3 महीने का पास 299 रुपए है। और एक महीने का पास 149 रुपए रखी गई है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि, इस योजना को लेकर शहर में उत्साह नहीं दिख रहा है। ऐसे में गांधी चौक और हैप्पी स्ट्रीट के स्टैंड को हटाकर वहां से साइकिलें गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी के पास शिफ्ट कर रहे हैं। रख-रखाव और हवा भरने के लिए साइकिलों को देवकीनंदन स्कूल के स्टोर में ले जाया गया है। इसलिए रिवर व्यू और नेहरू चौक में साइकिलें नजर नहीं आ रही हैं।