Sunday, June 15, 2025
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भ्रष्टाचार की हद: जमीन के लिए ‘मृत’ घोषित हुई ज़िंदा महिला, तहसीलदार की चालबाजी पर गिरी गाज, तत्काल प्रभाव से निलंबन, देखें आदेश…

सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एक बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है, जहां एक महिला को मृत घोषित कर उसकी जमीन हड़पने का प्रयास किया गया। इस गंभीर आरोप पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संभागायुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने भैयाथान तहसील के तहसीलदार संजय राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

ग्राम कोयलारी की निवासी शैल कुमारी दुबे ने 26 मई 2025 को एक शिकायत देकर बताया कि तहसीलदार संजय राठौर की मिलीभगत से उन्हें कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद उनकी निजी स्वामित्व की भूमि, खसरा नंबर 45/3, रकबा 0.405 हेक्टेयर (रिनंबरिंग में नया खसरा नंबर 344), को अनुचित तरीके से सौतेले पुत्र वीरेन्द्रनाथ दुबे के नाम कर दिया गया। इतना ही नहीं, इस जमीन का विक्रय भी कर दिया गया।

शिकायत के आधार पर सूरजपुर के अपर कलेक्टर और तहसीलदार लटोरी की संयुक्त जांच टीम गठित की गई। जांच में पुष्टि हुई कि संजय राठौर ने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतते हुए जालसाजी की और जीवित महिला को मृत बताकर नामांतरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया। यह आचरण न केवल अनैतिक पाया गया, बल्कि सेवा नियमों का भी घोर उल्लंघन था।

 

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर राठौर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1)(क) के अंतर्गत दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में राठौर को जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा और उनका मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय, बलरामपुर-रामानुजगंज नियत किया गया है।

इस घटना ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और साथ ही प्रशासनिक जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है।

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सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एक बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है, जहां एक महिला को मृत घोषित कर उसकी जमीन हड़पने का प्रयास किया गया। इस गंभीर आरोप पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संभागायुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने भैयाथान तहसील के तहसीलदार संजय राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। ग्राम कोयलारी की निवासी शैल कुमारी दुबे ने 26 मई 2025 को एक शिकायत देकर बताया कि तहसीलदार संजय राठौर की मिलीभगत से उन्हें कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद उनकी निजी स्वामित्व की भूमि, खसरा नंबर 45/3, रकबा 0.405 हेक्टेयर (रिनंबरिंग में नया खसरा नंबर 344), को अनुचित तरीके से सौतेले पुत्र वीरेन्द्रनाथ दुबे के नाम कर दिया गया। इतना ही नहीं, इस जमीन का विक्रय भी कर दिया गया। शिकायत के आधार पर सूरजपुर के अपर कलेक्टर और तहसीलदार लटोरी की संयुक्त जांच टीम गठित की गई। जांच में पुष्टि हुई कि संजय राठौर ने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतते हुए जालसाजी की और जीवित महिला को मृत बताकर नामांतरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया। यह आचरण न केवल अनैतिक पाया गया, बल्कि सेवा नियमों का भी घोर उल्लंघन था।   प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर राठौर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1)(क) के अंतर्गत दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में राठौर को जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा और उनका मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय, बलरामपुर-रामानुजगंज नियत किया गया है। इस घटना ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और साथ ही प्रशासनिक जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है।