Tuesday, June 17, 2025
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स्वर्णिम ईरा कॉलोनी हत्याकांड: बिलासपुर पुलिस ने 3 घंटे के भीतर सुलझाया मामला, सीसीटीवी फुटेज ने खोला राज, नाबालिग आरोपी हिरासत में…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सरकंडा थाना क्षेत्र में स्वर्णिम ईरा कॉलोनी में एक पांच वर्षीय बालिका की हत्या की गुत्थी को पुलिस ने महज तीन घंटे के भीतर सुलझा लिया। पुलिस की त्वरित कार्रवाई में आरोपी नाबालिग बालक को हिरासत में लिया गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला  

25 फरवरी 2025 को सुबह 10:20 बजे थाना प्रभारी निरीक्षक निलेश पांडेय को सूचना मिली कि स्वर्णिम ईरा कॉलोनी में एक नाबालिग बालिका का शव निर्माणाधीन मकान में मिला है। बालिका 24 फरवरी की शाम सात बजे से लापता थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुज कुमार, नगर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बघेल, एफएसएल यूनिट, फिंगरप्रिंट टीम और डॉग स्क्वाड सहित पुलिस बल मौके पर पहुंचा।

जांच के लिए बनाई गई विशेष टीमें

घटनास्थल के निरीक्षण और प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस को संदेह हुआ कि अपराध किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि कॉलोनी में रहने वाले किसी व्यक्ति ने ही किया है। इसके आधार पर पांच टीमें गठित की गईं—

1. तीन टीमों ने कॉलोनी के मजदूरों और उनके बच्चों से पूछताछ की।

2. एक टीम ने कॉलोनी में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की।

3. एक टीम ने कॉलोनी में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी और सूचना संकलन किया।

सीसीटीवी फुटेज और संदिग्धों की पहचान

जांच के दौरान पुलिस ने कॉलोनी के नौ संदिग्धों की पहचान की, जिनके शरीर पर खरोंच और चोट के निशान थे। इन सभी से गहन पूछताछ की गई। इसी बीच, सीसीटीवी फुटेज में एक नाबालिग बालक को मृतिका का हाथ पकड़कर घटना स्थल की ओर ले जाते हुए देखा गया। वह पहले से ही संदिग्धों की सूची में शामिल था।

आरोपी का कबूलनामा और कानूनी प्रक्रिया

पूछताछ में नाबालिग बालक ने अपराध स्वीकार कर लिया। दोनों पक्षों के नाबालिग होने के कारण किशोर न्याय अधिनियम के तहत आवश्यक कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। आरोपी को हिरासत में लेकर किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत किया जा रहा है।

संयुक्त पुलिस टीम की सफलता

इस पूरे मामले को सुलझाने में सरकंडा थाना और एसीसीयू बिलासपुर की पुलिस टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने टीम की तत्परता और सूझबूझ की सराहना की।

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जांच के लिए बनाई गई विशेष टीमें

घटनास्थल के निरीक्षण और प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस को संदेह हुआ कि अपराध किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि कॉलोनी में रहने वाले किसी व्यक्ति ने ही किया है। इसके आधार पर पांच टीमें गठित की गईं— 1. तीन टीमों ने कॉलोनी के मजदूरों और उनके बच्चों से पूछताछ की। 2. एक टीम ने कॉलोनी में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की। 3. एक टीम ने कॉलोनी में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी और सूचना संकलन किया।

सीसीटीवी फुटेज और संदिग्धों की पहचान

जांच के दौरान पुलिस ने कॉलोनी के नौ संदिग्धों की पहचान की, जिनके शरीर पर खरोंच और चोट के निशान थे। इन सभी से गहन पूछताछ की गई। इसी बीच, सीसीटीवी फुटेज में एक नाबालिग बालक को मृतिका का हाथ पकड़कर घटना स्थल की ओर ले जाते हुए देखा गया। वह पहले से ही संदिग्धों की सूची में शामिल था।

आरोपी का कबूलनामा और कानूनी प्रक्रिया

पूछताछ में नाबालिग बालक ने अपराध स्वीकार कर लिया। दोनों पक्षों के नाबालिग होने के कारण किशोर न्याय अधिनियम के तहत आवश्यक कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। आरोपी को हिरासत में लेकर किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत किया जा रहा है।

संयुक्त पुलिस टीम की सफलता

इस पूरे मामले को सुलझाने में सरकंडा थाना और एसीसीयू बिलासपुर की पुलिस टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने टीम की तत्परता और सूझबूझ की सराहना की।