अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के रघुनाथपुर क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसे में तालाब में डूबने से दो बच्चों की जान चली गई। घटना के बाद जब बच्चों का पोस्टमार्टम कराया गया, तो परिजनों ने आरोप लगाया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उनसे पैसे की मांग की गई। इस मामले ने तूल पकड़ लिया।
शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। प्रारंभिक जांच में लापरवाही सामने आने पर स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया के निर्देश पर रघुनाथपुर के बीएमओ को निलंबित कर दिया गया है, जबकि संबंधित मेडिकल ऑफिसर को पद से हटा दिया गया है। हालांकि, सीएमएचओ ने आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें बेबुनियाद बताया, लेकिन विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया और कार्रवाई की। पूरा मामला रघुनाथ नगर चौकी क्षेत्र का है।
मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम सिलसिला ढोंढा झरिया में मछली पालन के लिए बनाए गए गहरे गड्ढे में डूब कर दो बच्चों की मौत हो गई। मृतक आपस में सगे चचेरे भाई हैं। ग्राम सिलसिला ढोंढा झरिया निवासी मृतक सूरज गिरी पिता विनोद गिरी और जुगनू गिरी पिता शिवगिरी दोनों सगे चचेरे भाई हैं और दोनों की आयु पांच वर्ष थीं। रविवार को दोनों के माता-पिता मजदूरी करने और मछली पकड़ने के लिए गहिला बांध की तरफ गए थे। उन्होंने अपने बच्चों को घर पर छोड़ा हुआ था। दोपहर करीबन एक बजे दोनों बच्चे घर के पास खेलते हुए गांव के एक राजमिस्त्री द्वारा मछली पालन के लिए बनाए गए गहरे गड्ढे की तरफ गए और खेलते हुए गड्ढे में गिर गए।
गड्ढे में गिरकर दोनों की मौत हो गई। दोपहर के करीबन 2 बजे दोनों के माता-पिता जब खाना खाने के लिए घर वापस आए तो दोनों बच्चों को घर में नहीं पाकर आसपास ढूंढना शुरू किया। बच्चों के कहीं नहीं मिलने पर डबरी के पास जाकर देखा जिसमें दोनों बच्चों के शव पानी में तैरते हुए मिले। तत्काल परिजनों ने पानी में कूद कर शव निकाला। बच्चों को निकालने के बाद 2 बजे के आसपास ही डायल 112 और एंबुलेंस को कॉल किया गया। जिस पर रघुनाथपुर पुलिस मौके पर तो पहुंच गई पर एंबुलेंस नहीं पहुंची। 1 घंटे तक इंतजार के दौरान 7 से 8 बार कॉल करने के बावजूद एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर परिजन बाइक से ही शव को लेकर रघुनाथ नगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां परीक्षण उपरांत बच्चों को मृत घोषित कर दिया गया।
मोबाइल बंद करवा मांगी रिश्वत, परिजन बिना पोस्टमार्टम शव लेकर लौटे
परिजनों का गंभीर आरोप है कि रघुनाथनगर स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर ने पहले उनके मोबाइल फोन बंद करवा दिए। इसके बाद प्रत्येक बच्चे के पोस्टमार्टम के एवज में दस-दस हजार रुपये की मांग की गई। जब परिजनों ने आर्थिक असमर्थता जताई, तो डॉक्टर ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम दस हजार रुपये में करने की बात कही, वो भी किश्तों में भुगतान के प्रस्ताव के साथ। रोज़ी-मज़दूरी करने वाले परिजनों ने किसी भी तरह की राशि देने में असमर्थता जताई और आखिरकार रात में ही बच्चों के शवों को बिना पोस्टमार्टम करवाए बाइक से घर ले आए।
वहीं दूसरी तरफ गांव वालों के द्वारा पीएम की अनिवार्यता परिजनों को बताई गई। मामले की सूचना मिलने पर कलेक्टर विलास भोस्कर संदीपन भी मृतकों के घर पर पहुंचे और उन्हें ढांढ़स बंधाया। अधिकारियों की फटकार के बाद दूसरे दिन पोस्टमार्टम हो सका। इस मामले में सीएमएचओ ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए परिजनों को ही कटघरे पर खड़ा कर दिया था। सीएमएचओ का कहना था कि परिजन खुद ही पीएम नहीं करवाना चाहते थे, इसके लिए डॉक्टर को रिश्वत की पेशकश की गई थी। डॉक्टर द्वारा मना करने पर शव को ले गए और दूसरे दिन फिर लाए तो पीएम किया गया। वहीं एम्बुलेंस और शव वाहन नहीं मिलने के सवाल पर उनका कहना था कि धौरपुर से एंबुलेंस मंगवाया जाता है जिसके चलते समय लगता है, पर परिजनों ने इंतजार नहीं किया और पास ही अस्पताल होने की बात कह बाइक से ले आए।
बीएमओ ने आरोपों से किया इनकार, दलाल पर फोड़ा ठीकरा; स्वास्थ्य विभाग ने की सख्त कार्रवाई
बीएमओ डॉ. राघवेंद्र चौबे ने मामले में खुद को निर्दोष बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने स्वयं परिजनों से बातचीत की थी और किसी भी डॉक्टर द्वारा पैसे मांगने की बात को नकारा है। डॉ. चौबे ने दावा किया कि एक अज्ञात दलाल ने परिजनों को बिना पोस्टमार्टम के शव दिलवाने का झांसा दिया था। उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए उसे बुलाया गया था, लेकिन वह मौके से फरार हो गया। उन्होंने बताया कि परिजनों को एंबुलेंस की व्यवस्था की जानकारी दी गई थी, बावजूद इसके वे स्वयं शवों को घर ले गए।
हालांकि, पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया के निर्देश पर धौरपुर बीएमओ डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉ. अमन जायसवाल की ड्यूटी बॉन्ड समाप्त करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है। वहीं, गांव में दो मासूम बच्चों की मौत के बाद शोक का माहौल है। बताया गया कि मछली पालन के लिए खोदे गए 15–20 फीट गहरे गड्ढे के चारों ओर कोई सुरक्षा घेरा नहीं था, जिससे यह हादसा हुआ। अब परिजनों ने भविष्य में किसी और दुर्घटना की आशंका को देखते हुए गड्ढे को तत्काल भरवाने की मांग की है।