Tuesday, July 1, 2025
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अधिकारी की प्रताड़ना से महिला CHO ने की आत्महत्या,स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप, कागज़ों की फाइलों में दबी एक ज़िंदगी, जिम्मेदार कौन? महीनेभर पहले पति की हुई मौत…

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक महिला सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका की पहचान आरती यादव के रूप में हुई है, जो छुईखदान के जंगलपुर स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में संविदा पद पर कार्यरत थीं।

आरती यादव मूलतः धनोरा गांव की निवासी थीं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आरती विभागीय अधिकारियों की प्रताड़ना से मानसिक रूप से परेशान थीं। छत्तीसगढ़ प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने भी आरोप लगाया है कि अधिकारीगणों के अनुचित व्यवहार और दबाव के कारण आरती को यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और मामले की जांच की मांग उठने लगी है। परिजनों और सहकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई है।

दरअसल, एक महीने पहले महिला स्वास्थ्य अधिकारी आरती यादव के पति की सड़क हादसे में मौत हो गयी थी. मृतिका का एक साल का बच्चा भी है. पति की मौत के बाद आरती यादव परेशान रहने लगी थी. उसने विभाग में छुट्टी की मांग की थी. लेकिन उसे छुट्टी नहीं दी गयी. उन्हें एक्स्ट्रा काम दिया जाने लगा. अपने निजी परेशानी के चलते आरती स्वास्थ्य केंद्र नहीं जा रही थी. स्वास्थ्य केंद्र नहीं जाने पर विभागीय अफसरों ने आरती की शिकायत सीनियर अफसरों से कर दी. जिसके बाद सीएमएचओ कार्यालय से उपस्थिति के लेटर जारी किया गया. साथ ही वेतन में कटौती करने की चेतावनी भी दी गई।

इधर दुर्ग में स्थानांतरण हेतु सीएचओ आरती यादव ने लंबे समय तक प्रयास किए। सीएमएचओ कार्यालय से पत्र जारी होने के बाद उन्हें मजबूरन स्वास्थ्य केंद्र पर ड्यूटी जॉइन करनी पड़ी। लगातार मानसिक दबाव और व्यवस्था की उदासीनता के चलते आरती ने अंततः अपने दुर्ग स्थित निवास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस दुखद घटना के बाद छत्तीसगढ़ राज्य एनएचएम कर्मचारी संघ एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ ने मामले में गहराई से जांच एवं ठोस कार्रवाई की मांग की है।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा, “यह सिर्फ एक माँ की मृत्यु नहीं, बल्कि पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता है।” उन्होंने यह भी मांग रखी कि सभी कर्मचारियों को उचित कार्यभार मिले, मानसिक स्वास्थ्य सहायता की सुविधा उपलब्ध कराई जाए और संविदा के नाम पर हो रहे शोषण को तत्काल समाप्त किया जाए।

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दुर्ग। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक महिला सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका की पहचान आरती यादव के रूप में हुई है, जो छुईखदान के जंगलपुर स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में संविदा पद पर कार्यरत थीं। आरती यादव मूलतः धनोरा गांव की निवासी थीं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आरती विभागीय अधिकारियों की प्रताड़ना से मानसिक रूप से परेशान थीं। छत्तीसगढ़ प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने भी आरोप लगाया है कि अधिकारीगणों के अनुचित व्यवहार और दबाव के कारण आरती को यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और मामले की जांच की मांग उठने लगी है। परिजनों और सहकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई है। दरअसल, एक महीने पहले महिला स्वास्थ्य अधिकारी आरती यादव के पति की सड़क हादसे में मौत हो गयी थी. मृतिका का एक साल का बच्चा भी है. पति की मौत के बाद आरती यादव परेशान रहने लगी थी. उसने विभाग में छुट्टी की मांग की थी. लेकिन उसे छुट्टी नहीं दी गयी. उन्हें एक्स्ट्रा काम दिया जाने लगा. अपने निजी परेशानी के चलते आरती स्वास्थ्य केंद्र नहीं जा रही थी. स्वास्थ्य केंद्र नहीं जाने पर विभागीय अफसरों ने आरती की शिकायत सीनियर अफसरों से कर दी. जिसके बाद सीएमएचओ कार्यालय से उपस्थिति के लेटर जारी किया गया. साथ ही वेतन में कटौती करने की चेतावनी भी दी गई। इधर दुर्ग में स्थानांतरण हेतु सीएचओ आरती यादव ने लंबे समय तक प्रयास किए। सीएमएचओ कार्यालय से पत्र जारी होने के बाद उन्हें मजबूरन स्वास्थ्य केंद्र पर ड्यूटी जॉइन करनी पड़ी। लगातार मानसिक दबाव और व्यवस्था की उदासीनता के चलते आरती ने अंततः अपने दुर्ग स्थित निवास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस दुखद घटना के बाद छत्तीसगढ़ राज्य एनएचएम कर्मचारी संघ एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ ने मामले में गहराई से जांच एवं ठोस कार्रवाई की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों ने कहा, "यह सिर्फ एक माँ की मृत्यु नहीं, बल्कि पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता है।" उन्होंने यह भी मांग रखी कि सभी कर्मचारियों को उचित कार्यभार मिले, मानसिक स्वास्थ्य सहायता की सुविधा उपलब्ध कराई जाए और संविदा के नाम पर हो रहे शोषण को तत्काल समाप्त किया जाए।