बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में महर्षि शिक्षण संस्थान द्वारा ज़मीन फर्जीवाड़े का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बुधवार को सुशासन तिहार समाधान शिविर के सिलसिले में बिलासपुर पहुँचे राज्य के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि अधिकारी इस मामले की गहराई से जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस शासन काल (2002-03) में तखतपुर ब्लॉक में महर्षि शिक्षण संस्थान को शिक्षा के उद्देश्य से 40 एकड़ ज़मीन रियायती दर पर आवंटित की गई थी। आरोप है कि संस्थान ने इसमें से करीब 10.5 एकड़ ज़मीन दो निजी व्यक्तियों को बेच दी, वह भी बिना प्रशासनिक अनुमति के।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह ज़मीन बिना कलेक्टर की मंज़ूरी के रजिस्टर्ड भी हो गई और नामांतरण भी हो गया। जानकारी के अनुसार, गिरीशचंद्र नामक व्यक्ति ने विजय कुमार को पावर ऑफ अटॉर्नी जारी की, जिसने लिंगियाडीह निवासी कश्यप परिवार को ज़मीन बेची। यह स्पष्ट रूप से शासकीय शर्तों का उल्लंघन है। बता दें कि, एनएसयूआई ने भी इस मामले में तत्कालीन बिलासपुर कलेक्टर को शिकायत देकर विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द करने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी।
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा के नाम पर आवंटित भूमि की बिक्री नियमों के खिलाफ है, और इस तरह के लेन-देन को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जैसे कि SBR कॉलेज के खेल मैदान की बिक्री, जिसे हाईकोर्ट ने अवैध ठहराया था।
हालांकि कि, अब नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि राजस्व मंत्री के आश्वासन के बाद जांच कितनी जल्दी होती है और क्या वाकई दोषियों को सज़ा मिलती है।