Monday, June 16, 2025
Homeछत्तीसगढ़भ्रष्टाचार के आरोप में वरिष्ठ परिवहन अधिकारी आनंद रूप तिवारी निलंबित, सरकार...

भ्रष्टाचार के आरोप में वरिष्ठ परिवहन अधिकारी आनंद रूप तिवारी निलंबित, सरकार ने सख्त रुख अपनाया

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रशासनिक सख्ती दिखाते हुए बिलासपुर के वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आनंद रूप तिवारी को भ्रष्टाचार और गंभीर अनियमितताओं के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारी को सूचना भेज दी है।

सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आनंद रूप तिवारी पर कोटा अनुविभागीय अधिकारी के पद पर कार्यरत रहने के दौरान अरपा-भैंसाझार चकरभाटा क्षेत्र में नहर निर्माण के लिए किए गए भू-अर्जन में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता बरतने के गंभीर आरोप हैं। प्रारंभिक जांच के बाद मामले की पुष्टि होने पर यह कार्रवाई की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निलंबन आदेश में उल्लेख किया गया है कि तिवारी ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करते हुए गंभीर लापरवाही, उदासीनता और अनुशासनहीनता प्रदर्शित की है। इस दौरान उन्होंने न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की अनदेखी की, बल्कि आर्थिक अनियमितताओं के भी प्रमाण मिले हैं।

 

जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में नियमों को ताक पर रखते हुए मनमानी की गई। इससे न सिर्फ सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा, बल्कि भूमि मालिकों को भी उचित मुआवजा देने में गड़बड़ियां पाई गईं। इन सभी तथ्यों और उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर राज्य शासन ने सिविल सेवा नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए तिवारी को निलंबित करने का फैसला लिया। निलंबन की अवधि में आनंद रूप तिवारी को बिलासपुर संभाग के आयुक्त कार्यालय से अटैच किया गया है।

इसके साथ ही शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि निलंबन की अवधि में नियमानुसार उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) प्रदान किया जाएगा। यह कार्रवाई सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। छत्तीसगढ़ शासन ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाए जाएंगे और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रशासनिक हलकों में इस कार्रवाई को एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी यदि अपने कर्तव्यों में लापरवाही या अनियमितता बरतते हैं, तो उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे। सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Posts

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रशासनिक सख्ती दिखाते हुए बिलासपुर के वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आनंद रूप तिवारी को भ्रष्टाचार और गंभीर अनियमितताओं के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारी को सूचना भेज दी है। सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आनंद रूप तिवारी पर कोटा अनुविभागीय अधिकारी के पद पर कार्यरत रहने के दौरान अरपा-भैंसाझार चकरभाटा क्षेत्र में नहर निर्माण के लिए किए गए भू-अर्जन में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता बरतने के गंभीर आरोप हैं। प्रारंभिक जांच के बाद मामले की पुष्टि होने पर यह कार्रवाई की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निलंबन आदेश में उल्लेख किया गया है कि तिवारी ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करते हुए गंभीर लापरवाही, उदासीनता और अनुशासनहीनता प्रदर्शित की है। इस दौरान उन्होंने न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की अनदेखी की, बल्कि आर्थिक अनियमितताओं के भी प्रमाण मिले हैं।   जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में नियमों को ताक पर रखते हुए मनमानी की गई। इससे न सिर्फ सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा, बल्कि भूमि मालिकों को भी उचित मुआवजा देने में गड़बड़ियां पाई गईं। इन सभी तथ्यों और उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर राज्य शासन ने सिविल सेवा नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए तिवारी को निलंबित करने का फैसला लिया। निलंबन की अवधि में आनंद रूप तिवारी को बिलासपुर संभाग के आयुक्त कार्यालय से अटैच किया गया है। इसके साथ ही शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि निलंबन की अवधि में नियमानुसार उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) प्रदान किया जाएगा। यह कार्रवाई सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। छत्तीसगढ़ शासन ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाए जाएंगे और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासनिक हलकों में इस कार्रवाई को एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी यदि अपने कर्तव्यों में लापरवाही या अनियमितता बरतते हैं, तो उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे। सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।