बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी विकासखंड में स्थित ग्राम सोन के सरकारी प्राइमरी स्कूल में छात्रों पर भारी बोझ डालने का मामला सामने आया है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिखाया गया है कि स्कूल के प्राइमरी छात्र साइकिल पर 50 किलो भार की चावल की बोरी लेकर स्कूल तक जा रहे हैं। यह वीडियो तेजी से इंटरनेट पर फैल रहा है, जिससे यह घटना व्यापक चर्चा का विषय बन गई है।
बच्चों पर अत्याचार: हेडमास्टर पर लगाए गए आरोप
इस मामले की तह में जाने पर पता चला कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन के लिए आवश्यक चावल की आपूर्ति के लिए बच्चों से भारी मात्रा में चावल ढुलवाने की मांग की जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार, हेडमास्टर पुष्पा साहू पर इस आरोप का मुकाम है कि वे छात्रों से काम करवा रही हैं। आरोप है कि बच्चों को चार बार में 50 किलो चावल की बोरी भरकर दो क्विंटल चावल को स्कूल तक पहुँचाने का भार दिया जाता है।
बच्चों ने बताया कि उन्हें शिक्षा के साथ-साथ इस तरह के शारीरिक काम में भी व्यस्त रखा जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वे कहते हैं कि स्कूल के शिक्षक और हेडमास्टर उन्हें पढ़ाने के बजाय काम करवाने में लगे रहते हैं, जिससे उनका शैक्षिक विकास बाधित हो रहा है।
हेडमास्टर का बयान: वीडियो पुराना और बदनाम करने की कोशिश
हेडमास्टर पुष्पा साहू ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि वायरल हो रहा वीडियो पुराना है और वर्तमान में यह घटना नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग उन्हें परेशान और बदनाम करने के लिए इस वीडियो को सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं। पुष्पा साहू ने कहा, “इस वीडियो को कई महीनों पहले रिकॉर्ड किया गया था और इसे अभी वायरल किया जा रहा है ताकि मेरी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।”
उन्होंने आगे बताया कि स्कूल में बच्चों से चावल ढुलवाने की कोई व्यवस्था नहीं है और यह पूरी तरह से गलतफहमी पर आधारित है। पुष्पा साहू का कहना है कि वे बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करती हैं और किसी भी तरह के शारीरिक काम में उन्हें मजबूर नहीं करतीं।
बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव
यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मामला शिक्षा व्यवस्था में गंभीर गड़बड़ी की ओर इशारा करता है। बच्चों पर इस तरह का अत्याचार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उनकी मानसिक और शैक्षिक विकास पर भी बुरा असर डालता है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को ऐसे कार्यों में व्यस्त रखना उनकी समग्र विकास यात्रा में बाधा डालता है।
स्थानीय लोगों ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। हालांकि, उन्होंने अभी तक संबंधित अधिकारियों में शिकायत दर्ज नहीं कराई है। समाज में यह मान्यता है कि शिक्षा बच्चों का भविष्य है और उन्हें केवल पढ़ाई पर ही नहीं बल्कि समग्र विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
वीडियो का वायरल होना और समाजिक प्रतिक्रिया
ग्राम सोन के एक युवक ने सितंबर महीने में बच्चों को चावल ढोते हुए देखा और उसका वीडियो बना लिया। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे छोटे बच्चे साइकिल पर भारी बोझ लेकर स्कूल की ओर जा रहे हैं। वीडियो को बनाने के बाद इसे तुरंत सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया, जिससे यह तेजी से वायरल हो गया।
वीडियो के वायरल होने के बाद विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस घटना की चर्चा तेज हो गई है। लोग इस प्रकार की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग हेडमास्टर पुष्पा साहू का समर्थन भी कर रहे हैं, यह मानते हुए कि वीडियो में दिखाया गया दृश्य पुराना हो सकता है।
स्थानीय प्रशासन पर उठ रहे सवाल
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि संबंधित अधिकारियों द्वारा इस मामले की जाँच की जाए और सत्यापन किया जाए कि क्या वास्तव में बच्चों पर ऐसा अत्याचार हो रहा है या यह केवल अफवाहें हैं। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वे तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करें और बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।
यदि जांच में यह सिद्ध होता है कि बच्चों पर अत्याचार हो रहा है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। शिक्षा संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ बिना किसी दबाव के शिक्षा प्राप्त कर सकें।