Monday, June 16, 2025
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भूपेश बघेल का वार: ओबीसी आरक्षण को नकारने पर भाजपा को घेरा, कहा- ‘विष्णु के सुशासन में अन्याय’

रायपुर। राज्य के 33 जिला पंचायतों में अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन इसके परिणामों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरक्षण सूची के अनुसार, 16 पद अनुसूचित जनजाति (एसटी), 5 अनुसूचित जाति (एससी), और शेष 13 पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। खास बात यह है कि इस सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए एक भी पद आरक्षित नहीं किया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में नाराजगी बढ़ गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए इसे “पिछड़े वर्ग के साथ बड़ा अन्याय” करार दिया है। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग, जो प्रदेश की आबादी का लगभग 50% है, उनके लिए एक भी पद आरक्षित न होना भाजपा सरकार की “पक्षपातपूर्ण सोच” को दर्शाता है।

भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जैसा मैंने आशंका जताई थी, वैसा ही हुआ। पूरे प्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी पद आरक्षित नहीं किया गया। यह न केवल अन्याय है, बल्कि भाजपा के नेतृत्व वाले प्रशासन का पिछड़े वर्गों के प्रति उदासीन रवैया दिखाता है।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की है कि इस सूची को रद्द कर नए सिरे से संशोधित आरक्षण सूची जारी की जाए, जिससे ओबीसी वर्ग को उनका हक मिल सके।

इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे ओबीसी वर्ग के अधिकारों का हनन बताया है और राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

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रायपुर। राज्य के 33 जिला पंचायतों में अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन इसके परिणामों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरक्षण सूची के अनुसार, 16 पद अनुसूचित जनजाति (एसटी), 5 अनुसूचित जाति (एससी), और शेष 13 पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। खास बात यह है कि इस सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए एक भी पद आरक्षित नहीं किया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में नाराजगी बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए इसे "पिछड़े वर्ग के साथ बड़ा अन्याय" करार दिया है। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग, जो प्रदेश की आबादी का लगभग 50% है, उनके लिए एक भी पद आरक्षित न होना भाजपा सरकार की "पक्षपातपूर्ण सोच" को दर्शाता है। भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा, "जैसा मैंने आशंका जताई थी, वैसा ही हुआ। पूरे प्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी पद आरक्षित नहीं किया गया। यह न केवल अन्याय है, बल्कि भाजपा के नेतृत्व वाले प्रशासन का पिछड़े वर्गों के प्रति उदासीन रवैया दिखाता है।" पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की है कि इस सूची को रद्द कर नए सिरे से संशोधित आरक्षण सूची जारी की जाए, जिससे ओबीसी वर्ग को उनका हक मिल सके। इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे ओबीसी वर्ग के अधिकारों का हनन बताया है और राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।