Tuesday, June 17, 2025
Homeअन्य खबरेचैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जाने कैसे करें...

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जाने कैसे करें मां की पूजा…

बिलासपुर। साल 2024 में चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल मंगलवार के दिन से हो चुकी है। माना गया है कि यदि नवरात्र में सच्चे मन से माता रानी की आराधना की जाए तो इससे जीवन में विशेष लाभ देखने को मिल सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मां दुर्गा के स्वरूप माने गए माता चंद्रघंटा को किस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है।

चैत्र नवरात्र की नौ दिनों की अवधि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर ही आदिशक्ति अपने नौ रूपों में प्रकट हुई थीं। ऐसे में नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। आइए पढ़ते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र और भोग।

नवरात्र के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद मंदिर में एक चौकी पर माता चंद्रघंटा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें। साथ ही मां को दूध से बनी हुई मिठाई या फिर खीर का भोग लगाएं। पूजा के दौरान माता के मंत्रों का जाप व दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इसके साथ ही मां की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।

करें इन मंत्रों का जाप

ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः

प्रार्थना मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

मिलते हैं ये लाभ

धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता चंद्रघंटा संसार में न्याय व अनुशासन स्थापित करने का काम करती हैं। इस स्वरूप में माता के मस्तक पर अर्धचंद्र सजा हुआ है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

इसके साथ ही मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की भी प्राप्ति होती है। जिस भी जातक के विवाह में दिक्कतें आ रही हैं, उसे माता चंद्रघंटा की पूजा अवश्यक करनी चाहिए। इससे आपके विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Posts

बिलासपुर। साल 2024 में चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल मंगलवार के दिन से हो चुकी है। माना गया है कि यदि नवरात्र में सच्चे मन से माता रानी की आराधना की जाए तो इससे जीवन में विशेष लाभ देखने को मिल सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मां दुर्गा के स्वरूप माने गए माता चंद्रघंटा को किस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है। चैत्र नवरात्र की नौ दिनों की अवधि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर ही आदिशक्ति अपने नौ रूपों में प्रकट हुई थीं। ऐसे में नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। आइए पढ़ते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र और भोग। नवरात्र के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद मंदिर में एक चौकी पर माता चंद्रघंटा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें। साथ ही मां को दूध से बनी हुई मिठाई या फिर खीर का भोग लगाएं। पूजा के दौरान माता के मंत्रों का जाप व दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इसके साथ ही मां की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें। करें इन मंत्रों का जाप ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः प्रार्थना मंत्र पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥ मिलते हैं ये लाभ धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता चंद्रघंटा संसार में न्याय व अनुशासन स्थापित करने का काम करती हैं। इस स्वरूप में माता के मस्तक पर अर्धचंद्र सजा हुआ है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की भी प्राप्ति होती है। जिस भी जातक के विवाह में दिक्कतें आ रही हैं, उसे माता चंद्रघंटा की पूजा अवश्यक करनी चाहिए। इससे आपके विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।