Monday, June 16, 2025
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राजस्व मामलों पर हाईकोर्ट सख्त… लंबित मामलों पर प्रशासन को फटकार… कहा प्रशासन ने बना रखा है मजाक…

बिलासपुर। तहसील में डायवर्सन सहित अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार और पैसे दिए बिना काम नहीं करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों ने जनहित के कामों में मजाक बना रखा है, हर छोटी चीज के लिए लोगों को क्या हाईकोर्ट आना पड़ेगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शासन से पूछा कि, जब तीन महीने में डायवर्सन, नामांतरण के काम पूरे होने हैं तो साल भर क्यों लगता है।

अधिकारी क्या आंख बंद कर बैठे रहते हैं। मामले में संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने बिलासपुर कलेक्टर को उपस्थित होकर शपथपत्र के साथ जवाब देने के लिए कहा था। कलेक्टर ने मंगलवार को अपने शपथपत्र में कहा है कि बिलासपुर तहसील में डायवर्सन के कुल 781 मामले पेंडिंग थे, जिसमें से 720 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है. साथ ही लापरवाही के मामले में 2 रीडर और एक पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता ने इस पर कहा है कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद पिछले तीन दिनों में इन प्रकरणों पर फैसला लिया गया है। जो महीनों से लंबित थे और यह एसडीएम कोर्ट का हाल है, यही हाल तहसील और दूसरे राजस्व न्यायालयों का भी है. महीनों से 10 हजार से अधिक मामले पेंडिंग चल रहे हैं, कोर्ट ने तहसीलदारों से तहसील आफिस में लंबित प्रकरणों की जानकारी पेश करने कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी।

गौरतलब है कि, बिलासपुर निवासी रोहणी दुबे ने स्थानीय तहसील कार्यालय में जमीन के डायवर्सन प्रकरण के लिए आवेदन किया था, काफी समय बाद भी तहसील में इस मामले की न तो सुनवाई हुई, न ही इसका निराकरण किया गया। इस बीच उन्हें जानकारी मिली कि पैसों को लेकर यह प्रकरण रोका गया है, इसका विरोध करते हुए उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की और प्रकरण रोकने की वजह जाननी चाही, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता राजीव दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि तहसील कार्यालय में एसडीएम की नाक के नीचे जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।

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बिलासपुर। तहसील में डायवर्सन सहित अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार और पैसे दिए बिना काम नहीं करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों ने जनहित के कामों में मजाक बना रखा है, हर छोटी चीज के लिए लोगों को क्या हाईकोर्ट आना पड़ेगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शासन से पूछा कि, जब तीन महीने में डायवर्सन, नामांतरण के काम पूरे होने हैं तो साल भर क्यों लगता है। अधिकारी क्या आंख बंद कर बैठे रहते हैं। मामले में संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने बिलासपुर कलेक्टर को उपस्थित होकर शपथपत्र के साथ जवाब देने के लिए कहा था। कलेक्टर ने मंगलवार को अपने शपथपत्र में कहा है कि बिलासपुर तहसील में डायवर्सन के कुल 781 मामले पेंडिंग थे, जिसमें से 720 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है. साथ ही लापरवाही के मामले में 2 रीडर और एक पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने इस पर कहा है कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद पिछले तीन दिनों में इन प्रकरणों पर फैसला लिया गया है। जो महीनों से लंबित थे और यह एसडीएम कोर्ट का हाल है, यही हाल तहसील और दूसरे राजस्व न्यायालयों का भी है. महीनों से 10 हजार से अधिक मामले पेंडिंग चल रहे हैं, कोर्ट ने तहसीलदारों से तहसील आफिस में लंबित प्रकरणों की जानकारी पेश करने कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी। गौरतलब है कि, बिलासपुर निवासी रोहणी दुबे ने स्थानीय तहसील कार्यालय में जमीन के डायवर्सन प्रकरण के लिए आवेदन किया था, काफी समय बाद भी तहसील में इस मामले की न तो सुनवाई हुई, न ही इसका निराकरण किया गया। इस बीच उन्हें जानकारी मिली कि पैसों को लेकर यह प्रकरण रोका गया है, इसका विरोध करते हुए उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की और प्रकरण रोकने की वजह जाननी चाही, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता राजीव दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि तहसील कार्यालय में एसडीएम की नाक के नीचे जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।